Sunday, May 31, 2020

धर्मशाला- हिंदुस्तान का मिनी तिब्बत | DHARAMSHALA - Mini Tibbat Of HIndustan


  धर्मशाला, हिमाचल प्रदेश  काँगड़ा घाटी में धौलाधार पर्वत श्रृंखला के बीच घिरा स्थान है , जिसे मिनी तिब्बत भी कहा जाता है।  धर्मशाला दलाई लामा और केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के मुख्यालय का केंद्र  है जिसका पहले नाम भगतू था।  2017 में धर्मशाला को शिमला के बाद हिमाचल प्रदेश की दूसरी राजधानी घोषित कर दिया गया था।  धर्मशाला में बौद्ध मठों की संख्या और बौद्ध लोगो की संख्या अत्यधिक है।  यहाँ आप जंगलों पहाड़ों और बर्फ के साथ प्राकृतिक सौन्दर्य को देख सकते है





पहुंचने के प्रमुख मार्ग - धर्मशाला आप बस मार्ग द्वारा शिमला से आसानी से पहुंच सकते है। रेल मार्ग से जाने के लिए आपको पठानकोट रेल्वे  स्टेशन जाना होगा फिर वहां से आप बस द्वारा धर्मशाला पहुंच सकते है। हवाई मार्ग के लिए धर्मशाला सीधे जुड़ा हुआ है।

जाने का सबसे अच्छा समय - धर्मशाला आप साल में कभी भी जा सकते है , हर समय आपको यहाँ पर्यटक मिलेंगे , परन्तु बरसात के समय जाना हो सके तो रद्द कर दें।

घूमने के प्रमुख स्थान - 
                                     धर्मशाला 2 हिस्सों में विभाजित है जिसमे निचले हिस्से को धर्मशाला और ऊपरी हिस्से को मेक्लिओडगंज कहते है। धर्मशाला के सभी पर्यटन स्थल इसके ऊपरी हिस्से यानि मेक्लिओडगंज में ही है, और सभी आप पैदल भी घूम सकते है क्यूंकि इन सभी की दूरी मेक्लिओडगंज स्क्वेर से ज्यादा नहीं है।

1 .  दलाई लामा मंदिर -  दलाई लामा मंदिर मेक्लिओडगंज में स्थित यह बौद्ध मठ, बौद्ध संप्रदाय का बहुत बड़ा तीर्थ स्थल है। यह यहां का एक राजनीतिक और धार्मिक केंद्र भी है दलाई लामा मंदिर अपनी शांतिपूर्ण ध्यान और धार्मिक प्रार्थना के लिए प्रसिद्ध है यहां का शांतिपूर्ण वातावरण लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है।







2. भागसुनाग टेंपल - यह टेंपल मैक्लोडगंज से 1 किलोमीटर दूर स्थित  है जो  भगवान शिव को समर्पित है भागसू नाथ मंदिर धर्मशाला में अपनी कला एवं संस्कृति के लिए जाना जाता है  यहाँ एक छोटा तालाब है जो मंदिर की सुंदरता को और बढ़ाता है




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3. भागसुनाग फॉल्स - यह झरना भागसूनाग मंदिर से 1 किलोमीटर की दूरी पर है जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए विख्यात है यह यहां आने वाले टूरिस्ट का बेस्ट अट्रैक्शन पॉइंट भी है 





4. सेंट जॉन्स चर्च -  सेंट जॉन उत्तर भारत का चर्च है जो 1852 में बनाया गया।  यहां पर यह ईसाई समुदाय के लोगों का प्राचीन धार्मिक स्थल है यह चर्च धर्मशाला में जंगल के बीच मौजूद है और वेबटिस्ट जॉन को समर्पित है

 



5.  वार मेमोरियल - यह धर्मशाला का लोकप्रिय पर्यटक स्थल है यहां पर देश के शहीद सैनिकों के नाम पत्थरों पर अंकित हैं और यहां युद्ध में उपयोग होने वाले हथियारों की प्रदर्शनी भी है  और यह क्षेत्र बड़े देवदार के पेड़ो से घिरा हुआ है। 



6. कांगड़ा आर्ट म्यूजियम-  कांगड़ा आर्ट म्यूजियम में तिब्बती और बौद्ध धर्म के समृद्धि इतिहास को बताया है इस संग्रहालय में इतिहास से जुड़ी पेंटिंग, दुर्लभ सिक्के, मूर्तियां और मिट्टी से बने बेहद पुराने बर्तन मौजूद हैं जो हमारे इतिहास की वास्तविकता को दर्शाते है। 




7. HPCA क्रिकेट स्टेडियम-  यार भारत का सबसे ज्यादा ऊंचाई पर बना क्रिकेट स्टेडियम है जिसकी समुद्र ताल से ऊंचाई 1457 मीटर है। यहां से हिमालय पर्वत की श्रंखला बेहद सुंदर दिखाई पड़ती है  एचपीसीए क्रिकेट स्टेडियम एक छोटा क्रिकेट स्टेडियम है जो शानदार प्राकृतिक पृष्ठभूमि पर बना है।






8. नावर लिंगा इंस्टिट्यूट - यह तिब्बती और बौद्ध धर्म के संस्कृति और कलाओं की जगह है यह जापानी ढंग से बनाया गया है एवं  वहां की वास्तुकला को दर्शाता है यह प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है एवं मैक्लोडगंज से 30 मिनट की दूरी पर है यहां पर तिब्बती कारीगर अपनी कला का अवलोकन करते हैं, जिसमे वो वास्तु  कला की  मूर्ति थान का पेंटिंग सजावटी कलाओं का अभ्यास करते हैं इस स्थान में अंदर एक मंदिर है जहां भगवान बुद्ध की प्रतिमा विराजित है आपको यहां जरूर जाना चाहिए यह पर्यटकों का सबसे खास और पसंदीदा स्थल है यहां पर अंदर जाने की टिकट पर्यटकों के लिए 110 रूपये है आपको यह एक अलग अनुभव महसूस कराएगा।







9. कांगड़ा देवी मंदिर - यह मंदिर धर्मशाला के मैक्लोडगंज से 11 किलोमीटर दूर स्थित है यह 51 शक्तिपीठों में से एक है कहा जाता है यह मंदिर पांडवों के द्वारा बनवाया गया था यह हिन्दुओ का प्रमुख धार्मिक मान्यता प्रतीक स्थल है



10. डल लेक - इस झील का नाम कश्मीर की डल झील से लिया गया है यहां का इवनिंग व्यू बहुत ही सुंदर होता है चीड़ और देवदार के पेड़ों से घिरी हुई यह झील बहुत सुन्दर  है यहां आप लेक बोटिंग कर सकते हैं और टाइम बिता सकते हैंयहाँ आपको  रंग विरंगी बहुत सी प्रजाति की  मछलियां भी देखने को मिलती हैं, यहाँ लेक वोटिंग का आनंद लेना न भूलें।




11. ज्वाला देवी मंदिर -  यह मंदिर धर्मशाला से 55 किलोमीटर दूर है कहा  जाता है यहां पर मां शक्ति की जीभ गिरी थी, काँगड़ा जिले के पास स्थित यह शक्तिपीठ माँ के 51 शक्तिपीठों में से एक है।  ज्वाला देवी मंदिर में देवी माँ  एक ज्वाला के रूप में निरंतर प्रज्वलित रहती हैं





12. मसरूर - मसरूर एक रॉक कट मंदिर है यह धर्मशाला से 50 किलोमीटर दूर है जो ठाकुर बाड़ा के नाम से भी जाना जाता है यह पत्थरों को काटकर बनाया गया मंदिर है जो बहुत ही प्राचीन है यह मंदिर पांडवो द्वारा बनाया गया था इसकी खोज 1993 में एक अंग्रेज एच एल स्टेलबर्थ  द्वारा की गई थी यहाँ कुल 15 मंदिर हैं जिनमे से  मुख्य मंदिर को ठाकुरद्वारा कहा जाता है, यहां राम लक्ष्मण और सीता जी की  पत्थर की मूर्तियां हैं





13. कांगड़ा फोर्ट - काँगड़ा किला  धर्मशाला से 20 किलोमीटर दूर है इस फोर्ट का निर्माण 1680 के पास करवाया गया था यह अपने बनावट और ऊंचाई के लिए प्रसिद्ध है यहां जाकर आपको कांगड़ा इतिहास को जानने का अवसर मिलेगा।




14. त्रिउंड - यह एक बेहद आकर्षक ट्रैकिंग पॉइंट है यहाँ ट्रेकिंग और कैंपिंग के शौकीन पर्यटकों की भीड़ हमेशा रहती है यहां से धौलाधार पर्वत माला को देख सकते हैं यह धर्मशाला से 10 किलोमीटर दूर है और यह पिकनिक स्पॉट के लिए भी काफी फेमस है यह सबसे ज्यादा ट्रेकिंग के लिए फेमस है सीजन टाइम में काफी सारे टूरिस्ट ट्रेकिंग  के लिए और कैंपिंग के लिए आते हैं।




घूमने के अन्य स्थान -  वैसे तो धर्मशाला में जितने घूमने के प्रमुख स्थान है वो सब हमने आपको बता दिए और इससे ज्यादा कुछ नहीं है जो आप घूम सकें परन्तु फिर भी आपके पास समय है तो आप यहाँ की मोनस्ट्रीज , मार्किट , माल रोड वगैरह घूम सकते है।


घुमक्कड़ इंडिया एडवाइस - 


  • जब बर्फ बारी (Snow Fall) ज्यादा हो रहा हो तब आप मेक्लिओडगंज से धर्मशाला की यात्रा न करे। 
  • धर्मशाला से लूम साल और तिब्बती सामान लाना न भूले , ये आपको कहीं और नहीं मिलेगा।  
  • धर्मशाला में तिब्बती फ़ूड का आनंद जरूर लें।   


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                                                    हमारी जानकारी पढ़ने के लिए 
                                                                    धन्यवाद 
 














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